Vindhya Gupta
खून से क्या
तुम स्याही से भी मत लिखना
कलम में थूक भरके लिखना
पर मेरा नाम लिखना
उस कागज़ को जलाकर
आग ताप लेना
पिछली सर्दी ठण्ड लग गई थी
रख से थोड़ा दूर रहना
मन की तरह
कहिं चेहरा भी काला न हो जाए
जो धुंआ रह जाएगा
उस्से ख़ास के हटा देना
पुरानी आदत है तुम्हारी
तुम्हारा हाल हो या बेहाल हो
इंतज़ार जितने घंटे , महीने , साल हो
मुझको तुम्हारा मलाल भी गवारा है
क्या करूं मेरा प्यार ही इतना आवारा है