दील की रियासत को मिली रियायत
आपकी एक जलक से
सूकूँ-ए-क्लब मिलता है रूह को
आपकी एक जलक से
ईश्क खता है केहते है लोग तो खता हो गयी समजिये
आपकी एक जलक से
सजदा किय है ताजदार-ए-हरम से तो हुआ है दीदार आपका
सजदा किय है ताजदार-ए-हरम से तो हुआ है दीदार आपका
शुक्रिया करेंगे हजारो डफा बागबान-ए-अजल से
लेहरो मे खोयी सफीना को मिल किनारा
आपकी एक जलक से
धूप मे जलते हुये तन को मिली पनाह
आपकी एक जलक से
ईश्क मे जाती है जान केहते है लोग
तो ये भी कबूल है
आपकी एक जलक पे
ना रहा साथ आपका हुमारा उम्रभरका
ना रहा साथ आपका हुमारा उम्रभरका
तो मुलाकत होगी ज़रूर फ़िर फलक मे