Pushparaj Sinh Jadeja
आज इबादत कबूल हो गयी
जब एक मुरीद की आपने मूर्शीद से रूह रूबरू हो गयी
पता न था महोबत के सहूर का नशा ये कहेर धयेगा
दील उल्फ़त की हर देहलीज पार कर जायेगा
केसे कहे किस शिद्दत से चाहा है आपको
केसे कहे किस शिद्दत से चाहा है आपको
आपको पके हर दिल-ऎ-तमन्ना पूरी हो गयी
आज इबादत कबूल हो गयी
जब एक दुआ की अपने दरवेश से रूह रूबरू हो गयी
मलूम न था ये आशिक दस्तूर-ए-इश्क के आब्शार मे खो जायेगा
कल्ब वस्ल की हर दीवार पार कर जायेगा
केसे कहे किस जूनुनीयत से चाहा है आपको
केसे कहे किस जूनुनीयत से चाहा है आपको
आपको पाके हमे रूहानीयत मिल गयी